Welcome to the Hindi Tutor QA. Create an account or login for asking a question and writing an answer.
Pratham Singh in Biology
edited
यौवनारम्भ क्या है? इस अवस्था में बालक एवं बालिकाओं के शरीर में होने वाले परिवर्तन का उल्लेख कीजिए।

1 Answer

0 votes
Deva yadav
edited

यौवनारम्भ

यौवनारम्भ भौतिक परिवर्तनों की वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा बालकों का शरीर एक वयस्क शरीर के रूप में विकसित होता है तथा उनमें प्रजनन एवं निषेचन की क्षमता भी विकसित हो जाती है।

बालक के यौवनारम्भ पर उत्पन्न लक्षण
बालक के शरीर में यौवनावस्था (puberty) प्रारम्भ होने के समय (लगभग 15-18 वर्ष) से ही निम्नलिखित लक्षण विकसित होने लगते हैं –

  1. शरीर की सुडौलता – शरीर अधिक मजबूत, मांसपेशीयुक्त, सुडौल, अधिक शक्तिशाली होने लगता है; कन्धे अधिक चौड़े हो जाते हैं तथा वृद्धि के कारण लम्बाई बढ़ने लगती है।
  2. शरीर पर बाल – चेहरे पर मूंछ और बाद में दाढ़ी के बाल निकलने लगते हैं, वृषण कोषों आदि पर तथा उनके आस-पास बाल निकल आते हैं।
  3. आवाज का भारीपन – आवाज में काफी परिवर्तन आने लगता है। यह भारी होने लगती है तथा | इसकी दृढ़ता में भी बढ़ोतरी होती है।

उपर्युक्त परिवर्तन गौण लैंगिक लक्षण कहलाते हैं तथा वृषणों में बनने वाले नर हॉर्मोन, टेस्टोस्टेरोन के कारण सम्भव होते हैं जो प्रारम्भ में लगभग 20 वर्ष की आयु तक अधिक मात्रा में स्रावित होता है और अनेक शारीरिक लक्षणों में परिवर्तन लाता है।

बालिका के यौवनारम्भ पर उत्पन्न लक्षण
बालिकाओं में रजोधर्म प्रारम्भ होने से पूर्व होने वाले परिवर्तनों में अण्डाशयों तथा उनके सहायक अंगों का विकास सम्मिलित है। पीयूष ग्रन्थि से उत्पन्न जनद प्रेरक हॉर्मोन्स इन कार्यों को 11 से 13 वर्ष की उम्र में प्रेरित करने लगते हैं और अण्डाशये के अन्दर उपस्थित पुटिकाओं से एस्ट्रोजेन्स (हॉर्मोन्स) स्रावित होने लगते हैं, फलस्वरूप यौवनारम्भ (puberty) के लिए परिवर्तन होने लगते हैं। इन्हीं के प्रभाव से निम्नलिखित गौण लैंगिक लक्षण भी विकसित होते हैं –

  1. स्तनों की वृद्धि तथा सुडौल होना (इनमें दुग्ध ग्रन्थियों का बनना आदि भी)।
  2. बाह्य जननांगों; जैसे–योनि, लैबिया, भगशिश्न आदि का समुचित विकास।
  3. श्रोणि भाग का चौड़ा होना तथा नितम्बों का भारी होना।
  4. बगल तथा जननांगों (भगद्वार) आदि के आस-पास बालों का उगना।
  5. स्वभाव में शीतलता तथा आवाज का महीन होना।
  6. मासिक स्राव एवं आर्तव चक्र का प्रारम्भ होना।

Related questions

...