सोने का रेशा जूट को कहा जाता है। भारत में जूट का प्रथम कारखाना सन 1855 में स्कॉटलैंड के एक व्यापारी जार्ज ऑकलैंड ने बंगाल में कोलकाता के निकट रिसड़ा में स्थापित किया। इसके बाद लगभग आठ दशकों के अंदर (1939 तक) देश में जूट के कारखानों की संख्या बढ़कर 105 हो गई थी। विभाजन के बाद इनमें कमी आई और अब पूरे देश में मात्र 78 जूट मिले ही हैं। इससे पूर्व प्रथम तथा द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान युद्ध स्थलों पर खाद्य तथा आयुध सामग्री पहुंचाने के लिये जूट से निर्मित उत्पादों की मांग में हुई अप्रत्याशित वृद्धि से इस उद्योग की तेजी से प्रगति हुई थी
Stay updated via social channels