संवेग शब्द अंग्रेजी के ( Emotion ) शब्द से लिया गया है। संवेग एक भावात्मक स्थिति है जब मनुष्य का शरीर उद् दीप्त होता है । इसी अवस्था को संवेग का नाम दिया गया हैं। उदाहरण के रूप में भय ,क्रोध,चिन्ता,हर्ष,प्रसन्नता आदि उद् दीप्त अवस्थाए हैं। हम यह भी कह सकते है यह एक बहुत ही उत्तेजित अवस्था है जिस के करण वह अधिक मानसिक सजगता के करण कोई प्रतिक्रिया करता है। संवेग एक कल्पित प्रत्यय है जिसकी विशेषताओं का अनुमान व्यवहार से लगाया जाता है। संवेग में भाव, आवेश तथा शारीरिक प्रतिक्रियाएं सम्मिलित है।
विद्वानों ने संवेंग की अलग – अलग परिभाषाएं दी हैं –
मैक्डूगल के अनुसार – “ संवेग मूल प्रवृत्ति का केन्द्रीय अपरिवर्तनशील तथा आवश्यक पहलू है। “
बैलेनटाइन के अनुसार – “ जब भावात्मक दशा तीव्रता में हो जाए, तो उसे हम संवेग कहते हैं। “
आर्थर टी . जर्सीलड के अनुसार – “ संवेग शब्द किसी भी प्रकार से आवेश में आने, धड़क उठने तथा उत्तेजित होने की दशा को सूचित करता है। “
रास के विचार में – “ संवेग चेतना की वह अवस्था है जिसमें भावात्मक तत्व की प्रधानता रहती है। “
बुडवर्थ के अनुसार – “ संवेग किसी प्राणी की हलचल-पूर्ण अवस्था है। “