in Chemistry
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आसवन प्रक्रम के सिद्धान्तों का संक्षिप्त विवरण दीजिए

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 आसवन (Distillation)

इस महत्त्वपूर्ण विधि की सहायता से (i) वाष्पशील (volatile) द्रवों को अवाष्पशील अशुद्धियों से एवं (ii) ऐसे द्रवों को, जिनके क्वथनांकों में पर्याप्त अन्तर हो, पृथक् कर सकते हैं। भिन्न क्वथनांकों वाले द्रव भिन्न ताप पर वाष्पित होते हैं। वाष्पों को ठण्डा करने से प्राप्त द्रवों को अलग-अलग एकत्र कर लेते हैं। क्लोरोफॉर्म (क्वथनांक 334K) और ऐनिलीन (क्वथनांक 457 K) को आसवन विधि द्वारा आसानी से पृथक् कर सकते हैं। द्रव-मिश्रण को गोल पेंदे वाले फ्लास्क में लेकर हम सावधानीपूर्वक गर्म करते हैं। उबालने पर कम क्वथनांक वाले द्रव की वाष्प पहले बनती है। वाष्प को संघनित्र की सहायता से संघनित करके प्राप्त द्रव को ग्राही में एकत्र कर लेते हैं। उच्च क्वथनांक वाले घटक के वाष्प बाद में बनते हैं। इनमें संघनन से प्राप्त द्रव को दूसरे ग्राही में एकत्र कर लेते हैं।

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