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ला-शातेलिए के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।

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ला-शातेलिए का सिद्धान्त

ला-शातेलिए का सिद्धान्त यह एक सार्वभौमिक सिद्धान्त है जो सभी भौतिक तथा रासायनिक तन्त्रों पर लागू होता है। इसके अनुसार,
यदि साम्यावस्था पर ताप, दाब या सान्द्रण का परिवर्तन किया जाए तो साम्यावस्था ऐसी दिशा में परिवर्तित होगी जिससे वह किये गये परिवर्तन (कारक) का प्रभाव दूर करने में सहायक हो।” अतः

  1. ताप वृद्धि से अभिक्रिया ऐसी दिशा में बढ़ती है जिसमें ऊष्मा का शोषण होता है।

  2. दाब वृद्धि से अभिक्रिया ऐसी दिशा में बढ़ती है जिसमें आयतन कम होता हो।

  3. कोई बाह्य पदार्थ मिलाने पर अभिक्रिया ऐसी दिशा में बढ़ती है जिसमें उसे पदार्थ की सान्द्रता कम | होती हो।

अनुप्रयोग-विलेयता पर ताप का प्रभाव–उन सभी पदार्थों की विलेयता ताप बढ़ाने पर बढ़ती है। जिनको घोलने पर ऊष्मा का शोषण होता है; जैसे-

KCI + जल ⇌ जलीय KC1- Q कैलोरी

यदि ताप बढ़ाया जाए तो साम्य ऐसी दिशा को अग्रसर होगा जिसमें ताप का शोषण हो सके, ताकि बढ़े ताप का प्रभाव नष्ट हो सके। अतः ताप बढ़ाने पर KCI की विलेयता बढ़ती है। परन्तु उन पदार्थों की विलेयता ताप बढ़ाने पर घटती है जिनको जल में घोलने पर ऊष्मा निकलती है; जैसे-

Ca(OH)2 + जल → जलीय Ca(OH)2 +O कैलोरी

अत: Ca(OH)2की विलेयता ताप बढ़ाने पर घटती है।

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