सम-आयन प्रभाव
यदि किसी दुर्बल वैद्युत अपघट्य के विलयन में सम-आयन वाला एक दूसरा प्रबल वैद्युत अपघट्य मिलाया जाता है तो दुर्बल वैद्युत अपघट्य के आयनन की मात्रा कम हो जाती है। इस प्रभाव को सम-आयन प्रभाव कहते हैं। निम्नांकित उदाहरण द्वारा इसे स्पष्ट किया जा सकता है। अमोनियम हाइड्रॉक्साइड (NHAOH) एक दुर्बल वैद्युत अपघट्य है जिसका आयनन निम्न प्रकार होता
NH4OH ⇌ NH+4 +OH–
द्रव्य-अनुपाती क्रिया का नियम लगाने पर,
NH4OH के विलयन में NH4CI मिलाने पर NH4OH की आयनन की मात्रा कम हो जाती है, क्योंकि NH4Cl एक प्रबल वैद्युत अपघट्य होने के कारण विलयन में अधिक NH+4 आयन देता है। NH+4 आयनों का सान्द्रण बढ़ने से साम्यावस्था विक्षुब्ध (disturb) हो जाती है। अतः पूर्ण साम्यावस्था स्थापित करने के लिए अथवा समीकरण में Kb का मान स्थिर रखने के लिए OH– आयन का सान्द्रण कम हो जाएगा। यह तभी सम्भव है जब अनआयनित NH4OH का सान्द्रण बढ़े। अत: उत्क्रम दिशा में क्रिया के होने से NH2OH की आयनन की मात्रा कम हो जाती है। इसी प्रकार, CH3COONa की उपस्थिति . में CH3COOH के आयनन की मात्रा घट जाती है।
गुणात्मक विश्लेषण में उपयोग-तृतीय समूह के समूह अभिकर्मक NH4Cl तथा NHAOH हैं। NH4OH एक दुर्बल वैद्युत-अपघट्य है। अत: यह विलयन में कम आयनित होता है।
NH4OH ⇌ NH+4 + OH–
परन्तु कम आयनन के बावजूद भी OH– आयन सान्द्रण इतना होता है कि तृतीय समूह के हाइड्रॉक्साइडों के साथ-साथ चतुर्थ एवं पंचम समूह के मूलक भी हाइड्रॉक्साइडों के रूप में अल्प मात्रा में अवक्षेपित हो जाते हैं। इसीलिए तृतीय समूह में चतुर्थ तथा आगे के समूहों के मूलकों का अवक्षेपण रोकने के लिए NH4OH से पहले NH4CI मिलाया जाता है। NH4CI एक प्रबल वैद्युत-अपघट्य होने के कारण काफी आयनित होता है।
NH4Cl ⇌ NH–4 +Cl– तथा
NH4OH ⇌ NH+4 + OH–
अतः NH+4 आयन सान्द्रण अधिक होने के कारण NH4OH का आयनन सम-आयन प्रभाव के कारण कम हो जाता है जिसके फलस्वरूप OH– आयन का सान्द्रण कम हो जाता है। चूंकि चतुर्थ एवं आगे के समूहों के मूलकों के हाइड्रॉक्साइडों को विलेयता गुणनफल तृतीय समूह के मूलकों के हाइड्रॉक्साइडों से काफी अधिक होता है, इसलिए [OH–][M3+], (M3+ = Fe3+, Al3+,Cr3+) को मान तृतीय समूह के मूलकों के हाइड्रॉक्साइडों के विलेयता गुणनफल से अधिक हो जाता है। अतः तृतीय समूह के मूलक, हाइड्रॉक्साइडों के रूप में पूर्ण अवक्षेपित हो जाते हैं, परन्तु [OH–][M2+], (M2+ = Mn2+, Zn2+, Ni2+,Co2+, Mg2+) का मान चतुर्थ एवं आगे के समूहों के मूलकों के हाइड्रॉक्साइडों के विलेयता गुणनफल से अधिक नहीं होता, इसलिए चतुर्थ एवं आगे के मूलकों का अवक्षेपण नहीं होता है।