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द्रवविरोधी सॉल का स्कन्दन से आप क्या समझते हैं

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द्रवविरोधी सॉल का स्कन्दन 

द्रवविरोधी सॉल का स्थायित्व केवल कोलॉइडी कणों पर आवेश की उपस्थिति के कारण होता है। यदि आवेश हटा दिया जाए अर्थात् । उचित विद्युत-अपघट्य मिला दिया जाए तो कण एक-दूसरे के समीप आकर पुंजित हो जाएँगे अर्थात् ये स्कन्दित होकर नीचे बैठ जाएँगे। दूसरी ओर द्रवरागी सॉल का स्थायित्व कोलॉइड कणों के आवेश के साथ-साथ उनके विलायकयोजन (solvation) के कारण होता है। इन दोनों कारकों को हटाने के पश्चात् ही इन्हें स्कन्दित किया जा सकता है। अतः स्पष्ट है कि द्रवविरोधी सॉल आसानी से स्कन्दित हो जाते हैं।

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