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लोहे पर जंग लगने से आप क्या समझते हैं

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लोहे पर जंग लगना 

जब लोहे के एक टुकड़े को नम वायु में खुला रखा जाता है, तो उसकी सतह पर एक लाल-भूरी (reddish brown) परत बन जाती है। इस परत को आसानी से खुरचा जा सकता है। नम वायु की क्रिया द्वारा लोहे की सतह पर एक लाल-भूरी परत के जमा होने की प्रक्रिया को जंग लगना कहते हैं तथा लाल-भूरी परत को जंग कहा जाता है।

लोहे पर जंग लगना वास्तव में वायु, जल तथा कार्बन डाइऑक्साइड की लोहे से संयुक्त अभिक्रिया के कारण होता है। पूर्णरूप से शुष्क वायु या वायु मुक्त शुद्ध जल में लोहे पर जंग नहीं लगती है। जंग की सही संरचना वायुमण्डलीय परिस्थितियों तथा जंग को प्रेरित करने वाले कारकों के सापेक्ष योगदान पर निर्भर करती है। यह मुख्य रूप से जलयोजित फैरिक ऑक्साइड Fe2O3.xH2O है। इसके निर्माण को सरल रूप में निम्न समीकरण द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है –
UP Board Solutions for Class 12 Chapter 3 Electro Chemistry 5Q.3.1
जंग लगने की प्रक्रिया में नम वायु की उपस्थिति में सर्वप्रथम लोहे की बाहरी सतह जंग ग्रस्त होती है। और सतह पर जलयोजित फेरिक ऑक्साइड (जंग) की एक परत जमा हो जाती है। यह परत मुलायम तथा सरन्ध्र होती है और मोटाई बढ़ने पर स्वयं नीचे गिर सकती है। परत के नीचे गिरने से लोहे की आन्तरिक परत वायुमण्डल के सम्पर्क में आ जाती है और उस पर भी जंग लग जाती है। इस प्रकार यह प्रक्रम चलता रहता है और धीरे-धीरे लोहा अपनी शक्ति खोता रहता है।
लोहे पर जंग लगने की प्रक्रिया निम्नलिखित कारकों से प्रेरित तथा अधिशासित होती है –

  1. वायु की उपस्थिति

  2. नमी की उपस्थिति

  3. कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति

  4. जल में विद्युत अपघट्यों की उपस्थिति

  5. लोहे में कम विद्युत धनात्मक धातुओं की अशुद्धि के रूप में उपस्थिति

reshown
ठीक ही है लगभग तो

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Okay ok okay ok okay

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