स्वतन्त्रता मिलने के बाद भारत को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ा
शरणार्थियों की समस्या
शरणार्थी लाखों की संख्या में पाकिस्तान के भिन्न-भिन्न इलाकों से आए। उनकी सहायता तथा रोजगार देने की कठिन समस्या भारत के सामने थी।
औद्योगिक समस्या
देश के विभाजन से पहले भारत का जूट तथा वस्त्र उद्योग बहुत उन्नत था परन्तु विभाजन के बाद जूट और कपास पैदा करने वाले क्षेत्र पाकिस्तान चले गए और अर्थव्यवस्था असन्तुलित हो गई थी। उद्योगों के लिए कच्चे माल का अभाव हो गया। कपास और पटसन के कारखाने तो भारत में थे परन्तु कच्चे माल का उत्पादन करने वाले अधिकांश क्षेत्र पाकिस्तान में थे। अत: बहुत से कारखाने बन्द हो गए।
देशी राज्यों की समस्या
भारत की स्वतन्त्रता के साथ 500 से अधिक देशी रियासतें भी स्वतन्त्र हो गईं। इन रियासतों को भारतीय संघ में शामिल किए बिना भारत की स्वतन्त्रता अधूरी थी।
खाद्यान्न की समस्या
देश के विभाजन से गेहूँ और चावल पैदा करने वाला काफी सारा उपजाऊ क्षेत्र पाकिस्तान में चला गया। इसी प्रकार भारत में नहरी सिंचाई वाले क्षेत्र भी कम रह गए। अतः भारत में खाद्यान्न की समस्या पैदा हो गई।
परिवहन व्यवस्था का तहस
नहस होना- परिवहन व्यवस्था तहस-नहस हो गई, जरूरी चीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने में कठिनाई आई।
समाधान
सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च करके शरणार्थियों को बसाया। पंचवर्षीय योजनाओं के द्वारा खाद्यान्न, औद्योगिक तथा रोजगार समस्याओं को हल किया गया। सरदार पटेल के प्रयत्नों से देश को एकीकरण हुआ। सितम्बर 1961 ई० में सैनिक कार्यवाही करने पर पुर्तगालियों ने गोआ, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली भारत को सौंप दिए।