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 सूखे के आधार पर भारत को प्राकृतिक आपदा भेवता क्षेत्रों में विभाजित करें और इसके निवारण के उपाय बताएँ।

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सुभेद्यता

सुभेद्यता (Vulnerability) अथवा असुरक्षा किसी व्यक्ति, समुदाय अथवा क्षेत्र को हानि पहुँचाने की वह दशा या स्थिति है जो मानव के नियन्त्रण में नहीं होती है। दूसरे शब्दो में, यह जोखिम की वह सीमा है जिस पर एक व्यक्ति या समुदाय अथवा क्षेत्र प्रभावित होता है। भारत को सूखा के आधार पर निम्नलिखित भेद्यता (प्रभावित क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है|

1. अत्यधिक सूखा प्रभावित क्षेत्र

इसमें राजस्थान में अरावली के पश्चिम में स्थित मरुस्थली और गुजरात का कच्छ क्षेत्र सम्मिलित है।

2. अधिक सूखा प्रभावित क्षेत्र

राजस्थान का पूर्वी भाग, मध्य प्रदेश का अधिकांश क्षेत्र, महाराष्ट्र | के पूर्वी भाग, तेलंगाना तथा आन्ध्र प्रदेश के आन्तरिक भाग, कर्नाटक का पठार, तमिलनाडु के उत्तरी-पूर्वी भाग, झारखण्ड का दक्षिणी भाग और ओडिशा को आन्तरिक भाग अधिक सूखा प्रभावित क्षेत्र हैं।

3. मध्यम सूखा प्रभावित क्षेत्र

इस वर्ग में राजस्थान के उत्तरी भाग, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के दक्षिणी जिले, गुजरात के शेष भाग, झारखण्ड तथा कोयम्बटूर पठार सम्मिलित हैं 

निवारण के उपाय

सामाजिक और प्राकृतिक पर्यावरण पर सूखे का प्रभावित तात्कालिक एवं दीर्घकालिक होता है। अतः इसके निवारण के उपाय भी तात्कालिक व दीर्घकालिक होते हैं|

1. तात्कालिक उपाय

सुरक्षित पेयजल वितरण, दवाइयाँ, पशुओं के लिए चारे और जल की | उपलब्धता तथा मानव और पशुओं को सुरक्षित स्थान पर पहुँचानी सम्मिलित है। .

2. दीर्घकालिक उपाय

अनेक ऐसी योजनाएँ बनाई जाती हैं जो सूखे की विपत्ति में उपयोगी हों; जैसे—भूमिगत जल भण्डारण का पता लगाना, जल आधिक्य क्षेत्रों से अल्प जल क्षेत्रों में जल पहुँचाना, नदियों को जोड़ना, बाँध व जलाशयों को निर्माण करना, वर्षा जल का संग्रह करना, वनस्पति आवरण का विस्तार करना तथा शुष्क कृषि फसलों के क्षेत्र में विस्तार करना आदि योजनागत उपाय महत्त्वपूर्ण हैं।

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