इसमें वे सभी प्रजातियाँ सम्मिलित हैं जिनके लुप्त हो जाने का खतरा है। जिस तेजी से वनों का विनाश विभिन्न मानवीय आवश्यकताओं के लिए हो रहा है तथा जलवायु में परिवर्तन हुए हैं, उससे विश्व की विभिन्न प्रजातियाँ संकटग्रस्त हो गई हैं। विलुप्त हो रही प्रजातियों को निम्नलिखित वर्गों में रखा जाता है
I. संकटग्रस्त जातियाँ
ये जीवों (पादप तथा जन्तु) की वे जातियाँ हैं जिनकी संख्या कम हो गई है या तेजी से कम हो रही है। तथा इनके आवास इतने कम हो गए हैं कि इनके लुप्त होने का भय है।
II. सुभेद्य जातियाँ
इसमें जीवों की वे जातियाँ सम्मिलित हैं जिनके पौधे पर्याप्त संख्या में अपने प्राकृतिक आवासों में पाए। जाते हैं, परन्तु यदि भविष्य में इनके वातावरण में प्रतिकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं, तो इनका निकटभविष्य मे विलुप्त होने का भय है।
III. दुर्लभ जातियाँ
ये उन पौधों की जातियाँ हैं, जिनकी संख्या संसार में बहुत कम है। इनके आवास विश्व में सीमित संख्या मे हैं। इनके विलुप्त होने का भय सदैव बना रहता है।