in भूगोल
edited
इसके दो रूपों का विवरण दीजिए।

1 Answer

0 votes

edited

वायुमण्डल में विभिन्न प्रकार की गैसों के साथ-साथ जलवाष्प भी विद्यमान रहती है। वायुमण्डल में व्याप्त इस जलवाष्प को ही वायुमण्डल की आर्द्रता कहते हैं। भूमण्डल पर ओस, बादल, हिमपात, कुहरा, तुषार तथा वर्षा आदि इसी आर्द्रता की देन हैं, जिन्हें वर्षण तथा वृष्टि कहा जाता है।

वर्षण के रूप

वर्षण के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन निम्नलिखित है
1. हिमपात–जब कभी वायुमण्डल का तापमान ओसांक बिन्दु से भी कम हो जाता है, तो उसमें उपस्थित जलवाष्प जल में परिणत न होकर सीधे हिम के रवों के रूप में संघनित हो जाती है।
भूतल पर ये रवे हिमकणों के रूप में गिर जाते हैं। वर्षण का यह स्वरूप ‘हिमपात’ कहलाता है।

2. हिमवर्षा–जब जल की बूंदें भूप्रष्ठ के समीप की वायु की बहुत शीतल परतों से होकर गुजरती हैं, तब जलवाष्प हिम (बर्फ) बनकर नीचे गिरती है। वर्षण का यह रूप हिमवृष्टि या हिमवर्षा
कहलाता है। उच्च अक्षांशों तथा उच्च पर्वतीय प्रदेशों में हिमवर्षा ही होती है।

Related questions

Follow Us

Stay updated via social channels

Twitter Facebook Instagram Pinterest LinkedIn
...