तापमान का ऊर्ध्वाधर अध्ययन एक महत्त्वपूर्ण विषय है। सामान्यतः ऊँचाई के साथ-साथ तापमान कम होता जाता है। तापमान में इस गिरावट की दर एक डिग्री सेल्सियस प्रति 165 मीटर है। इसे सामान्य ह्रास दर कहते हैं। इस प्रकार ऊध्र्वाधर तापमान की सबसे बड़ी विशेषता है ऊँचाई के साथ-साथ तापमान में होने वाली कमी। किन्तु इसमें ऊँचाई के साथ तापमान घटने की कोई समान गति नहीं होती है। यह मौसम, स्थिति एवं दिन की अवधि के अनुसार कम व अधिक होता रहता है, परन्तु औसतन प्रति किमी की ऊँचाई पर 6.5 सेल्सियस कम होता है। सन् 1899 ई० में टेसेराइन व 1902 ई० में आसमन (Asman) नामक वैज्ञानिकों ने बताया है कि लगभग 12 किमी की ऊँचाई पर तापमान कम होना प्रायः रुक जाता है। फिर भी तापमान के ऊध्र्वाधर वितरण में यह एक मान्य तथ्य है कि वायुमण्डल की सबसे निचली परत (क्षोभमण्डल) जो धरातले के सम्पर्क में रहती हैं, सबसे अधिक गर्म होती है। यहीं से वायु की अन्य परतें गर्म होनी शुरू होती हैं। अतः हम जैसे-जैसे वायुमण्डल में ऊपर आते हैं। तापमान क्रमशः घटता जाता है।