नदी घाटी परियोजनाएँ नदियों की घाटियो पर बडे-बडे बाँध बनाकर ऊर्जा, सिंचाई, पर्यटन स्थलों की सुविधाएं प्राप्त की जातीं हैं। इसीलिए इन्हें बहूद्देशीय (बहु + उद्देश्यीय) परियोजना कहते हैं। नदीघाटी योजना का प्राथमिक उद्देश्य होता है, किसी नदीघाटी के अंतर्गत जल और थल का मानवहितार्थ पूर्ण उपयोग।
बहुउद्देशीय परियोजना, देश में उपलब्ध जल संसाधनों के वैज्ञानिक प्रबंधन और इष्टतम दोहन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसी कारण स्वतंत्रता के पश्चात् ही 1948 में देश के प्रथम बहुउद्देशीय परियोजना दामोदर घाटी परियोजना की आधारशिला रखी गयी। पं. जवाहर लाल नेहरू ने इसे आधुनिक भारत का मंदिर कहा।कई उद्देश्यों को ध्यान में रखकर प्रारंभ की गयी नदी घाटी परियोजना को बहुउद्देशीय परियोजना कहा जाता है। परियोजना के माध्यम से सिंचाई, जल-विद्युत, बाढ़-नियंत्रण, पेयजल आपूर्ति, मृदा संरक्षण इत्यादि अनेक उद्देश्यों की सम्मिलित प्राप्ति का प्रयास किया जाता है। उदाहरण के लिए कोसी परियोजना के माध्यम से बिहार का शोक मानी जाने वाली कोसी नदी के बाढ़ पर नियंत्रण करने का प्रयास किया गया, साथ ही सिंचाई और विद्युत उत्पादन की संभव हुआ।