विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 1856 पारित हुआ था। विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 1856 (The Hindu Widows' Remarriage Act, 1856) भारतीय समाज के लिए महत्वपूर्ण एक यात्रा कानून था जो विधवाओं के पुनर्विवाह को संविधानिक रूप से समर्थन देने का प्रयास किया था।
इस अधिनियम के पास किए जाने से, भारतीय समाज में विधवाओं के पुनर्विवाह को अधिक सामाजिक स्वीकृति मिलने लगी, जो पहले वर्जित किया जाता था। इस अधिनियम के तहत, हिन्दू विधवाओं को उनके पति की मृत्यु के बाद पुनर्विवाह करने का अधिकार प्राप्त हुआ और उन्हें समाज द्वारा बराबरी का अधिकार दिया गया।
यह अधिनियम भारतीय समाज में महिलाओं के अधिकारों के प्रति सामाजिक जागरूकता बढ़ाने के प्रयास का हिस्सा था और इसने विधवाओं के जीवन को सुधारने में मदद की।