भारत में स्थानीय स्वशासन (Local Self-Government) प्रारंभ करने का श्रेय लॉर्ड रिपन (Lord Ripon) को जाता है, जिनके कार्यकाल में 1882 में भारतीय सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों की स्थापना की गई थी। इस समय के गवर्नर-जनरल लॉर्ड रिपन ने भारत में स्थानीय स्वशासन को प्रोत्साहित किया और ग्राम पंचायतों की गठबंधन को सुनिश्चित किया।
इसके परिणामस्वरूप, ग्राम पंचायतें भारत में स्थानीय स्वशासन की शुरुआत हुई, और यह एक महत्वपूर्ण कदम था जो गाँवों के विकास और सामाजिक सुधार के लिए लिया गया। इसके बाद, स्थानीय स्वशासन की प्रक्रिया और ग्राम पंचायतों की भूमिका भारतीय समाज के साथियों के लिए महत्वपूर्ण रूप से बढ़ी और विकास की दिशा में मदद करने लगी।