भारतीय भाषाशास्त्र का सर्वाधिक प्राचीन कौन सा है, इसका स्पष्ट उत्तर देना कठिन है, क्योंकि भारतीय भाषाशास्त्र का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसमें कई प्राचीन श्रेष्ठताओं के प्रतीक और ग्रंथ हैं।
कुछ मुख्य भारतीय भाषाशास्त्रों में शामिल हैं:
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पाणिनि का अष्टाध्यायी: पाणिनि के "अष्टाध्यायी" को संस्कृत व्याकरण का महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है और यह व्याकरण शास्त्र का आधार है। पाणिनि का काम बहुत ही प्राचीन है, और उन्होंने संस्कृत के व्याकरण को विस्तार से वर्णित किया।
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यास्क का निरुक्त: यास्क के "निरुक्त" ग्रंथ में संस्कृत शब्दों के निरुक्त (शब्दार्थ के विश्लेषण) का अध्ययन किया गया है। यह ग्रंथ भाषाशास्त्र के प्रमुख कांव्य ग्रंथों में से एक है और बहुत प्राचीन है.
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पतंजलि के महाभाष्य: पतंजलि का "महाभाष्य" संस्कृत व्याकरण के बारे में एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसमें पाणिनि के "अष्टाध्यायी" की व्याख्या और व्याकरणिक निरूपण किया गया है।
इन ग्रंथों में से कोई भी विशेषतः प्राचीन नहीं होता है, क्योंकि भाषाशास्त्र का इतिहास बहुत प्राचीन है और यहाँ पर उल्लिखित ग्रंथ उसी परंपरा के हिस्से हैं। इसलिए, इनमें से किसी एक को सबसे प्राचीन मानना कठिन हो सकता है।