सिविल सेवाओं में प्रतियोगिता परीक्षाओं के माध्यम से भर्ती नियमों का निर्माण भारत सरकार द्वारा लगभग अज़ादी के बाद किया गया था। इस प्रक्रिया की शुरुआत ब्रिटिश साम्राज्य के अंत के बाद, जब भारत स्वतंत्र हुआ, हुई।
पहली भारतीय सिविल सेवाओं परीक्षा "भारतीय प्रशासनिक सेवा (Indian Administrative Service - IAS)" की शुरुआत 1947 में हुई थी, और इसके बाद अन्य सिविल सेवाएँ भी बनीं, जैसे "भारतीय पुलिस सेवा (Indian Police Service - IPS)" और "भारतीय विदेश सेवा (Indian Foreign Service - IFS)"।
सिविल सेवाओं की परीक्षा के नियम और प्रक्रिया को स्थापित करने का प्रमुख उद्देश्य था कि सरकार के विभिन्न विभागों में योग्य और प्रतिबद्ध व्यक्तियों को चयनित किया जा सके और उन्हें देश की सेवा में रुचि और सेवाभावना के साथ काम करने का अवसर प्रदान किया जा सके।
इन प्रतियोगिता परीक्षाओं के नियम और प्रक्रिया का संशोधन और सुधार कायम रहता है और इसका उद्देश्य है कि सरकार के विभिन्न सेवाओं में योग्य और नैतिक दृष्टिकोण वाले व्यक्तियों को चुना जा सके, जो देश की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं।