फिरदौसी सूफी संप्रदाय बिहार में अधिक लोकप्रिय था। फ़िरदौसी का पूरा नाम 'हकीम अबुल क़ासिम फ़िरदौसी तुसी' था। ये ईरान के तूस में ही पैदा हुए थे। उनका महाकाव्य 'शाहनामा' है जिसे लिखने में उन्होंने पूरी उम्र लगा दी थी। 'शाहनामा' खुरासान के शहज़ादे समानीद के लिए लिखा गया था। यह वह ज़माना था जब सातवीं शताब्दी में अरबों की ईरान पर विजय के बाद फ़ारसी भाषा और संस्कृति पर अरब प्रभुत्व दिखाई पड़ने लगा था।
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