‘संसार अस्थिर और क्षणिक है। क्षणिभंगुरवाद के नाम से ज्ञात होने वाले इस विचार को सर्वप्रथम महात्मा बुद्ध ने प्रस्तुत किया। संसार अस्थिर और क्षणिक है’ का बौद्ध से संबंध है। सर्वप्रथम महात्मा बुद्ध ने संसार को अस्थिर और क्षणिक कहा था। जिसे क्षणभंगुरवाद के नाम से जाना जाता है। प्रतीत्य समुत्पाद ही बुद्ध के उपदेशों का सार एवं उनकी सम्पूर्ण शिक्षाओं का आधार स्तम्भ है। प्रतीत्य समुत्पाद का अर्थ है, कि संसार की सभी वस्तुएं कार्य और कारण पर निर्भर करती हैं।
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