महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरू गोपाल कृष्ण गोखले थे इन्होने पहली बार राजनीति में 1889 में इलाहाबाद में हुये कांग्रेस अधिवेशन से प्रवेश किया। गोखले उदारवादी होने के साथ-साथ सच्चे राष्ट्रवादी भी थे। गरम दल के लोगों ने इन्हें ‘दुर्बल हृदय का उदारवादी एवं अंग्रेजों ने छिपा हुआ राजद्रोही’ कहा। इन्होंने 1905 में बनारस में हुये कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता भी की थी।