अखिल भारतीय खिलाफत सम्मेलन 1919 की अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की थी। इंग्लैंड के प्रधानमंत्री लॉयड जॉर्ज ने प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान यह घोषणा की थी कि तुर्की की अखंडता बरकरार रखी जाएगी परंतु 1918 की युद्ध विराम संधि में तुर्की का बंटवारा कर दिया गया। जिसके विरोध में 1918—19 में भारतीय मुसलमानों (अली बंधु, शौकत अली व मुहम्मद अली) में खिलाफत आंदोलन ने जोर पकड़ा।