पास-पड़ोस की दुकानों पर पूछने से लेखक को यह पता चला कि बुढिया का तेईस वर्षीय जवान लड़का था। घर में उसकी बहू और पोता-पोती है। उसका लड़का शहर के पास स्थित डेढ़ बीघा जमीन पर कछियारी करता था। इसमें उगने वाली सब्जियों और फलों को बेचकर वह घर का गुजारा चलाता था। परसों जब बुढ़िया का लड़का मुँह अँधेरे खरबूजे तोड़ रहा था तभी गीली मेड़ की तरावट में विश्राम करते साँप पर उसका पैर पड़ गया। उसे साँप ने डॅस लिया। बुढ़िया ने उसके इलाज के लिए झाड़-फेंक और पूजा-अर्चना कराई, पर सब व्यर्थ। इससे उसके बेटे की मृत्यु हो गई।