फ़ादर परिमल की गोष्ठी में सबसे बड़े माने जाते थे। वे सबके साथ पारिवारिक रिश्ता बनाकर रखते थे। सबसे बड़ी बात यह थी कि वे सबके घरों में उत्सवों और संस्कारों पर पुरोहित की भाँति उपस्थित रहते थे। हर व्यक्ति ,उनसे स्नेह और सहारा प्राप्त करता था। वात्सल्य तो उनकी नीली आँखों में तैरता रहता था। इस कारण सबको उनकी उपस्थिति देवदार की छाया के समान प्रतीत होती थी।