वन्य जीव की संख्या और वन्य के शीघ्र पतन के कारण संरक्षण आवश्यक हो गया है। संरक्षण पारिस्थितिक विभिन्नता और जीवन-यापन तंत्र को सुरक्षित रखता है। यह पौधों और जानवरों की प्रजनन विभिन्नता को सुरक्षित रखता है।
हमारे बहुत-से प्राचीन रीति-रिवाज भी वन और वन्य जीव संरक्षण में लाभदायक हुए हैं। उदाहरण के लिए बरगद, पीपल, तुलसी और नीम की पूजा आज भी हमारे देश में विभिन्न अवसरों पर की जाती है। अनेक समुदायों में इनकी कटाई तथा प्रयोग वर्जित है। इसी प्रकार मोर, नीलकंठ, तोते और नील गाय जैसे पशु भी संरक्षित किए जाते हैं।