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स्वराज पार्टी का गठन के बारे में बताओ |

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महात्मा गांधी को बन्दी बनाये जाने से जनता का उत्साह क्षीण पड़ गया। उधर कौन्सिल में प्रवेश के प्रश्न को लेकर कांग्रेस दो दलों में विभक्त हो गयी। एक दल का कहना था कि कौन्सिल में प्रवेश कर सरकार के कार्यों में बाधा उत्पन्न करनी चाहिए। यह दल परिवर्तनवादी कहलाया। दूसरा दल अपरिवर्तनवादी कहलाया, जिसका कहना था कि कौन्सिल का परित्याग कर दिया जाए। परिवर्तनवादियों जिनमें मोतीलाल नेहरू तथा चितरंजनदास प्रमुख थे, ने एक नयी पार्टी ‘स्वराज पार्टी’ का निर्माण किया। स्वराज पार्टी को विधानसभाओं में बहुत स्थान मिले। इस पार्टी ने सरकार के कार्यों में विघ्न डालने प्रारम्भ किये और अपने लक्ष्य में आंशिक सफलता प्राप्त की, किन्तु सन् 1925 ई० में इसके नेता सी०आर० दास की मृत्यु से इस पार्टी का प्रभाव क्षीण हो गया।

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