मूत्र निर्माण तथा उत्सर्जी पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने के अतिरिक्त वृक्क शरीर में जल, अम्ल, क्षार तथा लवणों का संतुलन बनाये रखने में सहायता देता है । वृक्क रुधिर से अतिरिक्त जल की मात्रा को मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकालता है। इसी प्रकार वृक्क के कारण रुधिर में लवण सदैव एक निश्चित मात्रा में ही मिलते हैं। अमोनिया रुधिर के H की अधिकता को कम करके रुधिर में अम्ल-क्षार संतुलन बनाने में सहायता देती है । वृक्कों द्वारा ही विष, दवाइयाँ आदि हानिकारक पदार्थों का भी शरीर से विसर्जन होता है । अतः, वह समस्त क्रियाएँ जिनके द्वारा शरीर में एक स्थायी अवस्था बनी रहती है उसको होमिओस्टेसिस कहते हैं।