जिला परिषद् पंचायती राज व्यवस्था का तीसरा स्तर है। 50,000 की आबादी पर जिला परिषद का एक सदस्य चुना जाता है। ग्राम पंचायत और पंचायत समिति के चुनाव की तरह इसमें भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ी जाति और महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान है। जिला परिषद के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत जिला की सभी पंचायत समितियाँ आती हैं। प्रत्येक पाँच वर्ष के अवसान पर पंचायतों की वित्तीय स्थिति का पुनरावलोकन करने हेतु राज्य वित्त आयोग का गठन किया जाता है।