चंपारण में नील की खेती करने वाले किसान पर जो तरह-तरह के अत्याचार हो रहे थे उसको दूर करने में गाँधीजी की भूमिका महनीय रूप से आलोकित होती है । गाँधी जी ने इस स्थिति को अच्छी तरह से जायजा लिया और विचार व्यक्त किया कि जब तक यहाँ की शिक्षा व्यवस्था ठीक नहीं होगा तब तक अत्याचार की समस्या का समाधान नहीं होगा। उन्होंने चंपारण में शिक्षा की व्यवस्था मजबूत हो इसके लिए कुछ ग्रामीण विद्यालयों की स्थापना करवाई।