यदि किसी विधि या संवैधानिक संशोधन को संविधान की 9वीं सूची में रख दिया जाए तो वह न्यायालय मे वाद योग्य नही रहता
अगर संसद किसी भी कानून को बनाने के बाद उसको 9वी अनुसूची में डाल दे और उसके बाद अनुच्छेद 31 B लगा दे तो सुप्रीम कोर्ट उस कानून की न्यायिक समीक्षा नही कर सकता था
कितुं कोहेलो केश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा की यदि 9वी अनुसूचीके डाला गया कानून “ संविधान के मूल ढाँचे” के विरूद्ध है तो सुप्रीम कोर्ट उसकी न्यायिक समीक्षा कर सकता है