मौलिक अधिकार न्यायालय में प्रवर्तनीय है।भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों का विशेष स्थान है। संविधान के भाग 3 में कुछ आधारभूत मानवाधिकारों की गारंटी दी गई है, जोकि मोटे तौर पर 1960 के नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों के अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र से मिलते-जुलते हैं। ये अधिकार विधि द्वारा संरक्षित एवं प्रवर्तनीय हैं।