1815 में, राजा राममोहन राय ने बंगाल में सामाजिक-धार्मिक सुधारों के अग्रगामी, आत्मीय सभा की स्थापना की। सभा के सदस्य दार्शनिक विषयों पर बहस और चर्चा सत्र आयोजित करते थे और स्वतंत्र और सामूहिक सोच और सामाजिक सुधार को भी बढ़ावा देते थे। 1815 में आत्मीय सभा की नींव को कोलकाता में आधुनिक युग की शुरुआत माना जाता है।