'आइन-ए-अकबरी' की रचना अकबर के ही एक नवरतन दरबारी अबुल फज़ल ने की थी। अबुल फज़ल ने कई अन्य पुस्तकें भी लिखीं, किंतु उसे स्थायी और विश्वव्यापी कीर्ति 'आईन-ए-अकबरी' के लेखन से ही मिली । स्वयं अबुलफ़ज्ल के कथानानुसार उसका ध्येय 'महान सम्राट् की स्मृति को सुरक्षित रखना' तथा 'जिज्ञासु पाठक का पथप्रदर्शन करना' था।