प्रार्थना समाज की स्थापना
सन् 1819 में, महाराष्ट्र में प्रार्थना सभा नामक संस्था की स्थापना की गई थी, किन्तु इसका प्रभाव सीमित था और यह शीघ्र ही छिन्न-भिन्न हो गई। इसके बाद ब्रह्म समाज के प्रभाव से 1867 में प्रार्थना समाज की स्थापना हुई। इसके संस्थापक डॉ. आत्माराम पांडुरंग थे। इस समाज का उद्देश्य भी ब्रह्म समाज की तरह एकेश्वरवाद और समाज सुधार था। धार्मिक क्षेत्र में यह एकेश्वरवाद के अंतर्गत ईश्वर के निराकार रूप को मानते थे। यह समाज मूल रूप से अपने सामाजिक सुधारों के लिए प्रसिद्ध है।
सामाजिक क्षेत्र में इस संस्था के मुख्य उद्देश्य थे
विधवा विवाह का प्रचार करना,
जाति-प्रथा को अस्वीकार करना,
स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहन देना,
बाल विवाह का बहिष्कार करना,
विवेकपूर्ण उपासना करना,
अन्य सामाजिक सुधार करना।