धातुओं को जोड़ने व काटने में ऑक्सीजन और ऐसीटिलीन का मिश्रण, कोल गैस और हाइड्रोजन आदि गैसे होती है | जलनेवाली गैस के मिश्रण में अधिक ऐसीटिलीन होने से उसकी लौ कार्बुरीकर (carburising) होकर कुछ मोटी पड़ जाती है, लेकिन वह आरंभ से अंत तक एक सी तेज चमकदार बनी रहती है। बत्ती का व्यास वेल्ड की जानेवाली वस्तु की मोटाई और फुँकनी की नाप के अनुपात से होना चाहिए। पतली बत्ती स्वयं तो जल्दी गल जाएगी और वेल्डित किया जानेवाला जोड़ गरम होकर गलित अवस्था में आने भी नहीं पाएगा। यदि बत्ती अधिक मोटी होगी, तो वह स्वयं देर से गलेगी और वस्तु के पहले से गले हुए भागों को जल्दी से ठंडा कर देगी।