व्यापार संघ व्यापारिक कंपनियों या संस्थानों द्वारा साझे हितों के संरक्षण के लिए बनाया गया संघ है। यह संघ कुछ छोटी कंपनियों के समूह से लेकर कई राष्ट्रों के व्यापारिक हितों का संरक्षण करने के लिए बनाए गए हैं।
श्रमिक संघों का प्रचुर मात्रा में प्रादुर्भाव तीव गति से आर्थिक विकास तथा विषेषतः विकास के कारण हुआ है । औद्योगिक इकाइयों की स्थापना तथा इसके साथ ही मशीनरी का व्यापक प्रयोग, श्रमिकों की कार्यकारी तथा निर्वाह स्थितियों में परिवर्तन, बड़े कस्बों में उद्योगों का केन्द्रीकरण ये सब कारण श्रमिकों की सौदाकारी षक्ति बनाए रखने व उसमें और सुधार करके उनकी नियोजन स्थितियों को सुधारने हेतु उन्हें संगठित करने में सहायक सिद्ध हुए हैं ।
भारत में प्रथम संगठित श्रमिक संघ का गठन 1918 में "मद्रास श्रमिक संघ" नाम से हुआ था । उसके पश्चात अधिकांषतः देश के सभी औद्योगिक के में बड़ी संख्या में संघों का उदय हुआ । श्रमिक संघों के पंजीकरण, पंजीकृत श्रमिक संघों पर लागू अनुबन्ध पत्र, उनके अधिकार तथा दायित्वों को प्रभावित करने वाली दशाओं को विनियमित करने हेतु भारत सरकार ने "श्रमिक संघ अधिनियम, 1926" को पारित किया ।
श्रमिक संघ अधिनियम, 1926 के तहत निर्धारित नियम पंजीक्रत श्रमिक संघों ;श्रमिक व नियोक्ताद्ध को उनके संबंधित राज्यों/संघशासित प्रदेषो के पंजीयक को निर्धारित फाॅरमेट में वार्षिक संवैधानिक विवरणी भेजने के लिए बाध्य करते हैं । यह राज्य/संघ शासित प्रदेष प्राधिकारी बदले में समग्र राज्य/ संघ शासित प्रदेष के संबंध में समेकित आंकड़ें श्रम ब्यूरो को भेजते हैं । श्रम ब्यूरो इन आंकड़ों को अखिल भारतीय स्तर पर संकलित तथा प्रसारित करता है।
अधिनियम की महत्वपूर्ण परिभाशा, अवधारणाएं तथा प्रावधान
1. श्रमिक संघ
श्रमिक संघ का अर्थ है कोइ भी अस्थायी या स्थायी संगठन जिसे मुख्यतः (i) कर्मकार तथा नियोक्ता, या ; (ii) कर्मकार तथा कर्मकार या ; (iii) नियोक्ता तथा नियोक्ता के बीच सम्बन्ध को विनियमित करने या किसी व्यापार या व्यवसाय के संचालन पर प्रतिबंधक शर्ते लगाने के उद्देष्य से गठित किया गया है । इसमें दो या दो से अधिक श्रमिक संघों का कोइ भी परिसंघ शामिल होता है ।
2. विनियोजित सरकार
विनियोजित सरकार का अर्थ है श्रमिक संघों के संबंध में जिसके नागरिक एक राज्य, केन्द्र सरकार तथा अन्य श्रमिक संघों के संबंध में, राज्य सरकार तक परिसीमित नहीं हैं ।
3. पंजीयक
धारा 3 के तहत विनियोजित सरकार द्वारा नियुक्त श्रमिक संघ का पंजीयक तथा इसमें श्रमिक संघों का कोई भी अतिरिक्त या उप पंजीयक शामिल है ।
4. कार्यपालिका
कार्यपालिका का अर्थ कोइ भी नाम का एक निकाय जिसे श्रमिक संघ के कार्यों का प्रबन्धन सौंपा गया है ।
5. व्यापार विवाद : व्यापार विवाद से भाव
- नियोक्ता तथा कर्मकार के बीच या
- कर्मकार तथा कर्मकार के बीच या
- नियोक्ता तथा नियोक्ता के बीच कोई भी विवाद जिसका संबंध किसी भी व्यक्ति के
- रोज़गार या गैर रोज़गार, या
- रोज़गार की शर्तो या
- श्रम की दशाओं से है।
6. कर्मकार
कर्मकार का अर्थ व्यापार या व्यवसाय में नियोजित सभी व्यक्ति चाहे वह नियोक्ता के रोज़गार में है या नहीं जिससे उसका व्यापार विवाद शुरू होता है ।
7. सार्वजनिक क्षेत्र
सार्वजनिक क्षेत्र से भाव वह प्रतिष्ठान जिसका पूर्ण स्वामित्व, नियंत्रण तथा प्रबन्ध निम्नलिखित द्वारा हो :-
- सरकार या सरकारी विभाग
- कम्पनी अधिनियम, 1956 की धारा 617 के अन्तर्गत यथा परिभाषित सरकारी कम्पनी
- केन्द्रीय, प्रान्तीय या राज्य अधिनियम द्वारा या उसके अन्तर्गत स्थापित निगम ;सहकारी संस्था सहित जिसका स्वामित्व या नियंत्रण या प्रबन्धन सरकार के हाथ में हो तथा
- स्थानीय प्राधिकारी
8. निजी क्षेत्र
निजी क्षेत्र से तात्पर्य उस प्रतिष्ठान से है जो सार्वजनिक क्षेत्र में प्रतिष्ठान नही है ।
9. सदस्य बनने हेतु प्रक्रिया
कोइ भी व्यक्ति जो 15 वर्ष की आयु से अधिक को प्राप्त हो चुका है, वह पंजीक्रत श्रमिक संघ का सदस्य बन सकता है । ऐसा कोइ भी सदस्य, श्रमिक संघ के नियमों के अधीन एक सदस्य के सभी अधिकारों का लाभ उठा सकता है । व सभी दस्तावेज़ो को प्रस्तुत करता है तथा नियमों के अन्तर्गत देने या लागू की जाने सभी आवष्यक जानकारियॉ देता है । लेकिन जब तक वह 18 वर्ष की आयु का नहीं हो जाता तब तक श्रमिक संघ का पदाधिकारी नहीं बन सकता।
केवल व्यापार में कार्यरत व्यक्ति जिसमें उद्योग शामिल है, श्रमिक संघ का गठन कर सकता है या श्रमिक संघ का सदस्य बन सकता है । क्योंकि राजभवन में घरेलू या अन्य कार्यों के लिए नियोजित व्यक्ति श्रमिक संघ का गठन नहीं कर सकते । इसी तरह प्रभुसत्ता के काम में तथा कानूनी कार्यों में लगे सरकारी कर्मचारी श्रमिक संघ के पंजीकरण के हकदार नहीं हैं ।
10. श्रमिक संघों का पंजीकरण
- श्रमिक संघ अधिनियम, 1926 श्रमिक संघों के पंजीकरण की व्यवस्था करता है । श्रमिक संघ के 7 या अधिक सदस्य श्रमिक संघ के नियमों के समर्थन में अपने हस्ताक्षर द्वारा या अन्यथा पंजीकरण के संबंध में इस अधिनियम के प्रावधानों का पालन करते हुए श्रमिक संघों के पंजीयक को इस अधिनियम (धारा 4) के अन्तर्गत श्रमिक संघ के पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं ।
- पंजीयक निर्धारित प्रपत्र में पंजीकरण का प्रमाण पत्र जारी करता है जो कि एक प्रमाण के रूप में कार्य करता है कि श्रमिक संघ को अधिनियम के अन्तर्गत विधिवत पंजीक्रत किया गया है ।
11. पंजीकरण रद्द करना
पंजीयक द्वारा श्रमिक संघ के पंजीकरण को (i) यथानिर्धारित ढंग से श्रमिक संघ के सत्यापित किए जाने वाले आवेदन पर तथा (ii) यदि पंजीयक संतुष्ट है कि प्रमाण पत्र धोखे या गलती से प्राप्त किया गया है या श्रमिक संघ की वैद्यता को समाप्त कर दिया गया है तथा जानबूझ कर तथा पंजीयक से नोटिस मिलने के पष्चात् अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है, वापस लिया जा सकता है या रद्द किया जा सकता है ।
12. संघ की समाप्ति
- जब एक पंजीक्रत श्रमिक संघ को समाप्त किया जाता है तो इस संबंध में श्रमिक संघ के सचिव तथा 7 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित नोटिस पंजीयक को संघ भंग के 14 दिनों के भीतर भेज देना चाहिए तथा यदि वह सन्तुष्ट है कि संघ की समाप्ति श्रमिक संघ के नियमों के अनुसार हुई है तो उसके द्वारा पंजीकरण करवाया जाना चाहिए तथा संघ की समाप्ति इस पंजीकरण की तारीख से प्रभावी होगी ।
- जहॉ पंजीक्रत श्रमिक संघ की समाप्ति को पंजीक्रत करवाया गया है तथा श्रमिक संघ के नियमों में संघ की समाप्ति होने पर श्रमिक संघ के कोष के बटवारे की व्यवस्था नहीं की गइ, पंजीयक द्वारा यथा निर्धारित ढंग से सदस्यों के बीच कोष का बटवारा किया जाएगा ।
13. अधिनियम के अन्य प्रावधान
- अधिनियम पंजीक्रत श्रमिक संघ के अधिकारों तथा उत्तरदायित्वों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है । यह उन विषयों को भी इंगित करता है जिन पर सामान्य कोष खर्च किया जा सकता है।
- अधिनियम राजनीतिक प्रयोजन से एक अलग कोष के गठन की भी व्यवस्था करता है ।
- श्रमिक संघों को कुछ मामलों में दीवानी मुकदमों से प्रतिरक्शा प्रदान की जाती है ।
- श्रमिक संघं के सदस्य श्रमिक संघों की बहियों का निरीक्षण कर सकते हैं ।
- श्रमिक संघों को एकीक्रत किया जा सकता है बशर्ते कि वोट देने के हकदार ऐसे प्रत्येक श्रमिक संघ के कम से कम 1/2 सदस्यों की वोटों को रिकार्ड किया जाए ।