सजीव कोशिकाओं के द्वारा प्रकाशीय उर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करने की क्रिया, द्वारा सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में वायु से कार्बनडाइऑक्साइड तथा भूमि से जल लेकर जटिल कार्बनिक खाद्य पदार्थों जैसे कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण करते हैं तथा आक्सीजन गैस (O2) को जल से बाहर निकालते और वायुमंडल में मुक्त कर देते हैं।
प्रकाश-संश्लेषण (Optical Dispersion) एक भौतिकी और भौतिकी रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें प्रकाश का रंगों में विभाजन होता है जब यह एक प्रयोज्य माध्यम से गुजरता है। यह विभाजन तब होता है क्योंकि प्रकाश की वेग विभिन्न रंगों में भिन्न होता है, और जब प्रकाश माध्यम के साथ प्रवेश और बाहर निकलता है, तो यह रंगों को अलग-अलग कोणों पर विचलित करता है।
यदि हम प्रकाश को व्यक्ति रंगों में देखते हैं, तो हम देख सकते हैं कि विभिन्न रंगों का प्रकाश विभिन्न कोणों पर झुक कर गुजरता है और हर एक रंग का वेग विभिन्न होता है। इसके परिणामस्वरूप, हम विभिन्न रंगों को विचलित देखते हैं, जिसे रैनबो के रंगों की बंदरगाह कहा जाता है।
प्रकाश-संश्लेषण का एक प्रमुख उद्देश्य प्रकाश को विभिन्न रंगों में विभाजित करना है, ताकि हम रंगों की गुणधर्मिकी का अध्ययन कर सकें और उन्हें अलग-अलग रंगों में अन्यथा देख सकें। यह विज्ञान, भौतिकी, और औद्योगिक प्रयोगों में महत्वपूर्ण होता है, जैसे कि ऑप्टिक्स, आवश्यकता के हिस्से के रूप में रंगीन दिशानिर्देश, और अन्य कई विज्ञानिक और तकनीकी आविष्कारों के लिए।
रासायनिक समीकरण
6CO2 +12H2O + प्रकाश + क्लोरोफिल → C6H12O6 + 6O2 + 6 H2O + क्लोरोफिल
इस रासायनिक क्रिया में कार्बनडाइऑक्साइड के 6 अणुओं और जल के 12 अणुओं के बीच रासायनिक क्रिया 6होती है जिसके फलस्वरूप ग्लूकोज के एक अणु, जल के 6 अणु तथा ऑकसीजन के ६ अणु उत्पन्न होते हैं। इस क्रिया में मुख्य उत्पाद ग्लूकोज होता है तथा ऑक्सीजन और जल उप पदार्थ के रूप में मुक्त होते हैं। इस प्रतिक्रिया में उत्पन्न जल कोशिका द्वारा अवशोषित हो जाता है और पुनः जैव-रासायनिक प्रतिक्रियाओं में लग जाता है। मुक्त ऑक्सीजन वातावरण में चली जाती है। इस मुक्त ऑक्सीजन का स्रोत जल के अणु है कार्बनडाइऑक्साइड के अणु नहीं। अभिक्रिया में सूर्य की विकिरण ऊर्जा का रूपान्तरण रासायनिक ऊर्जा में होता है। जो ग्लूकोज के अणुओं में संचित हो जाती है। प्रकाश-संश्लेषण में पौधों द्वारा प्रति वर्ष लगभग १00 टेरावाट की सौर्य ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा के रूप में भोज्य पदार्थ के अणुओं में बाँध दिया जाता है। इस ऊर्जा का परिमाण पूरी मानव सभ्यता के वार्षिक ऊर्जा खर्च से भी ७ गुणा अधिक है। यह ऊर्जा यहाँ स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित रहती है। अतः प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया को ऊर्जा बंधन की क्रिया भी कहते हैं। इस प्रकार प्रकाश-संश्लेषण करने वाले सजीव लगभग १0,00,00,00,000 टन कार्बन को प्रति वर्ष जैव-पदार्थों में बदल देते हैं।