कितने पाकिस्तान के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता
कितने पाकिस्तान (Kitane Paakistaan) के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता (Lekhak/Upanyaskar/Rachayitha) "कमलेश्वर" (Kamaleshvar) हैं।
Kitane Paakistaan (Lekhak/Upanyaskar/Rachayitha)
नीचे दी गई तालिका में कितने पाकिस्तान के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता को लेखक/उपन्यासकार तथा उपन्यास के रूप में अलग-अलग लिखा गया है। कितने पाकिस्तान के लेखक/उपन्यासकार/रचयिता की सूची निम्न है:-
रचना/उपन्यास |
लेखक/उपन्यासकार/रचयिता |
कितने पाकिस्तान |
कमलेश्वर |
Kitane Paakistaan |
Kamaleshvar |
कितने पाकिस्तान किस विधा की रचना है?
कितने पाकिस्तान (Kitane Paakistaan) की विधा का प्रकार "उपन्यास" (Upanyas) है।
पूरा नाम |
कमलेश्वर प्रशाद सक्सेना |
जन्म |
06 जनवरी 1932
मैनपुरी, उत्तरप्रदेश, भारत |
मौत |
जनवरी 27, 2007 (उम्र 74)
फ़रीदाबाद, भारत |
दूसरे नाम |
कमलेश्वर |
काल |
1954–2006 |
विधा |
कहानी, उपन्यास, पत्रकारिता, स्तंभ लेखन, फिल्म पटकथा |
आंदोलन |
नई कहानी |
उल्लेखनीय काम |
कितने पाकिस्तान (2004) |
खिताब |
साहित्य अकादमी पुरस्कार (2003)
पद्मभूषण (2005) |
कमलेश्वर हिन्दी लेखक कमलेश्वर बीसवीं शती के सबसे सशक्त लेखकों में से एक समझे जाते हैं। कहानी, उपन्यास, पत्रकारिता, स्तंभ लेखन, फिल्म पटकथा जैसी अनेक विधाओं में उन्होंने अपनी लेखन प्रतिभा का परिचय दिया। कमलेश्वर का लेखन केवल गंभीर साहित्य से ही जुड़ा नहीं रहा बल्कि उनके लेखन के कई तरह के रंग देखने को मिलते हैं। उनका उपन्यास 'कितने पाकिस्तान' हो या फिर भारतीय राजनीति का एक चेहरा दिखाती फ़िल्म 'आंधी' हो, कमलेश्वर का काम एक मानक के तौर पर देखा जाता रहा है। उन्होंने मुंबई में जो टीवी पत्रकारिता की, वो बेहद मायने रखती है। 'कामगार विश्व’ नाम के कार्यक्रम में उन्होंने ग़रीबों, मज़दूरों की पीड़ा-उनकी दुनिया को अपनी आवाज़ दी। कमलेश्वर की अनेक कहानियों का उर्दू में भी अनुवाद हुआ है।
कमलेश्वर का जन्म ६ जनवरी १९३२ को उत्तरप्रदेश के मैनपुरी जिले में हुआ। उन्होंने १९५४ में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए. किया। उन्होंने फिल्मों के लिए पटकथाएँ तो लिखी ही, उनके उपन्यासों पर फिल्में भी बनी। 'आंधी', 'मौसम (फिल्म)', 'सारा आकाश', 'रजनीगंधा', 'मिस्टर नटवरलाल', 'सौतन', 'लैला', 'रामबलराम' की पटकथाएँ उनकी कलम से ही लिखी गईं थीं। लोकप्रिय टीवी सीरियल 'चन्द्रकांता' के अलावा 'दर्पण' और 'एक कहानी' जैसे धारावाहिकों की पटकथा लिखने वाले भी कमलेश्वर ही थे। उन्होंने कई वृतचित्रों और कार्यक्रमों का निर्देशन भी किया।
2005 में कमलेश्वर को 'पद्मभूषण' से नवाज़ा गया और २००३ में उन्हें 'कितने पाकिस्तान'(उपन्यास) के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे 'सारिका' 'धर्मयुग', 'जागरण' और 'दैनिक भास्कर' जैसे प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं के संपादक भी रहे। उन्होंने दूरदर्शन के अतिरिक्त महानिदेशक जैसा महत्वपूर्ण दायित्व भी निभाया। कमलेश्वर ने अपने ७५ साल के जीवन में १२ उपन्यास, १७ कहानी संग्रह और क़रीब १०० फ़िल्मों की पटकथाएँ लिखीं।
कमलेश्वर की अंतिम अधूरी रचना अंतिम सफर उपन्यास है, जिसे कमलेश्वर की पत्नी गायत्री कमलेश्वर के अनुरोध पर तेजपाल सिंह धामा ने पूरा किया और हिन्द पाकेट बुक्स ने उसे प्रकाशित किया और बेस्ट सेलर रहा। 27 जनवरी 2007 को उनका निधन हो गया।
उपन्यास -
- एक सड़क सत्तावन गलियाँ- 1957
- तीसरा आदमी- 1976
- डाक बंगला -1959
- समुद्र में खोया हुआ आदमी-1967
- काली आँधी-1974
- आगामी अतीत -1976
- सुबह...दोपहर...शाम-1982
- रेगिस्तान-1988
- लौटे हुए मुसाफ़िर-1961
- वही बात-1980
- एक और चंद्रकांता
- कितने पाकिस्तान-2000
- अंतिम सफर
पटकथा एवं संवाद
कमलेश्वर ने ९९ फ़िल्मों के संवाद, कहानी या पटकथा लेखन का काम किया। कुछ प्रसिद्ध फ़िल्मों के नाम हैं-
- १. सौतन की बेटी(१९८९)-संवाद
- २. लैला(१९८४)- संवाद, पटकथा
- ३. यह देश (१९८४) -संवाद
- ४. रंग बिरंगी(१९८३) -कहानी
- ५. सौतन(१९८३)- संवाद
- ६. साजन की सहेली(१९८१)- संवाद, पटकथा
- ७. राम बलराम (१९८०)- संवाद, पटकथा
- ८. मौसम(१९७५)- कहानी
- ९. आंधी (१९७५)- उपन्यास
संपादन
अपने जीवनकाल में अलग-अलग समय पर उन्होंने सात पत्रिकाओं का संपादन किया -
- विहान-पत्रिका (१९५४)
- नई कहानियाँ-पत्रिका (१९५८-६६)
- सारिका-पत्रिका (१९६७-७८)
- कथायात्रा-पत्रिका (१९७८-७९)
- गंगा-पत्रिका(१९८४-८८)
- इंगित-पत्रिका (१९६१-६८)
- श्रीवर्षा-पत्रिका (१९७९-८०)
अखबारों में भूमिका
वे हिन्दी दैनिक `दैनिक जागरण' में १९९० से १९९२ तक तथा 'दैनिक भास्कर' में १९९७ से लगातार स्तंभलेखन का काम करते रहे।'
कहानियाँ
कमलेश्वर ने तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनकी कुछ प्रसिद्ध कहानियाँ हैं -
- राजा निरबंसिया
- मांस का दरिया
- नीली झील
- तलाश
- बयान
- नागमणि
- अपना एकांत
- आसक्ति
- ज़िंदा मुर्दे
- जॉर्ज पंचम की नाक
- मुर्दों की दुनिया
- कस्बे का आदमी
- स्मारक
नाटक
उन्होंने तीन नाटक लिखे -
- अधूरी आवाज़
- रेत पर लिखे नाम
- हिंदोस्ता हमारा
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