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Pratham Singh in Fitter Theory
पंच से आप क्या समझते हैं

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Deva yadav

पंच 

किसी भी कार्यखण्ड (Job) की सतह पर की गई अस्थायी मार्किंग को स्थायी बनाने के लिए जिस टूल का प्रयोग किया जाता है,उसे पंच(Punch) कहते हैं तथा इस प्रक्रिया को पंचिंग (Punching) कहते हैं। पंच के द्वारा कार्यखण्ड की सतह पर उन बिंदुओं को गहरा किया जाता है जहाँ पर डिवाइडर द्वारा चाप या वृत्त बनाना होता है या ड्रिल द्वारा ड्रिलिंग करनी होती है। स्क्राइबर (Scriber)से खींची गई अस्थायी चिन्हन लाइनें (Marking Lines) जॉब से मिट सकती हैं तथा पंच द्वारा स्थायी मार्किंग करने पर चिन्हन (marking) जॉब को बार-बार छूने या विभिन्न यान्त्रिक क्रियाओं से मिट नहीं पाती।

मैटीरियल

पंच मुख्यतः हाई-कार्बन स्टील के बनाए जाते हैं।

साइज

पंच का साइज इसकी पूरी लंबाई और इसके व्यास (Diameter)से लिया जाता है। जैसे-punch 150 × 12.5 मिमी

पंच के मुख्य भाग (Main Parts)

(1.) हैड

punch का वह भाग जिस पर हैमर द्वारा चोट मारते हैं,वह भाग हैड कहलाता है। यह फ्लैट (Flat) होता है।

(2.) प्वॉइण्ट

punch का वह भाग जिससे बिंदु (Centre) बनते हैं,उस भाग को प्वॉइण्ट (Point)कहते हैं। यह भाग नुकीला तथा हार्ड व टैम्पर (Hard and Temper) किया गया होता है।

(3.) बॉडी

हैड तथा प्वॉइण्ट के बीच का बचा हुआ से भाग बॉडी (Body) कहलाता है। यह भाग नर्लिंग किया हुआ बेलनाकार (Cylindrical)या षट्भुजाकार (Hexagonal) होता है।

 

 

 

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