राष्ट्रपति : राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण भारत की धरोहरों, स्मारकों की देखभाल के लिए बनाया गया है। इसके चेयरपर्सन की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में आये बदलाव के कारण बडी संख्या में शहरीकरण, सडक, भवन, विशेष आर्थिक क्षेत्र, उद्योगों का निर्माण हुआ है जिससे राष्ट्र के अमूल्य सांस्कृतिक धरोहरो को क्षति पहुंचने का खतरा उत्पन्न हुआ है । इसी के मदेनजर, संसद व्दारा प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल एवं अवशेष अधिनियम (संसोधन एवं विधिमान्यकरण) २०१० को पारित किया गया है ।
यह अधिनियम संरक्षित स्मारक के १०० मी. के क्षेत्र को ’’प्रतिबंधित क्षेत्र’’ तथा प्रतिबंधित क्षेत्र से २०० मी. के क्षेत्र को ’’विनियमित’’ घोषित करता है । इस वर्गीकरण का उदेश्य राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों में हो रहे निर्माण को रोकना जो प्रतिबंधित क्षेत्र में है तथा विनियमित क्षेत्र के निर्माण कार्य को विनियमित करना है ।
इस अधिनियम के तहत देश के विभिन्न भागों में सक्षम प्राधिकारियों की स्थापना की गए है जो ’’मरम्मत’’, ’’पुननिर्माण’’ तथा ’’निर्माण’’ के लिए एन.ओ.सी. का आवेदन प्राप्त करेंगे तथा उक्त आवेदन को राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण को भेजा जाएगा जो तत्संबंधी निर्णय करेगा ।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण औरंगाबाद मंडल जिसके अधीन नासिक, अहमदनगर, औरंगाबाद, अकोला, अमरावती, बुलढाणा, जलगाँव, धुलिया, नंदरबार, बीड, नांदेड, हिन्गोली, वासिम, यवतमाल, नागपुर, जालना इत्यादी जिले है के लिए सक्षम प्राधिकारी की स्थापना की गई है ।