भारत के राष्ट्रीय ध्वज में सफेद पट्टी महात्मा गाँधी के द्वारा जोड़ी गई थी। बता दे कि कांग्रेस के विजयवाड़ा अधिवेशन में पिंगली वेकैया द्वारा जब दो रंगों वाला झंडा (लाल एवं हरा) प्रस्तुत किया तब गाँधी जी ने सफेद पट्टी एवं चरखा जोडने का सुझाव दिया था। गांधीजी के प्रयास पर ही अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने अगस्त 1931 के मुंबई सत्र में इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास किया कि, राष्ट्रीय ध्वज तीन रंगों का का होगा। इसमें तीन रंगों को होरिजेंटल अरेंज किया जाएगा। रंग भगवा, सफेद और हरे होंगे, जो ऊपर से नीचे के क्रम में होंगे जबकि गहरे नीले रंग का चरखा बीच में सफेद पट्टी पर उकेरा जाएगा। अब रंगों की व्याख्या अलग तरह से की गई-भगवा रंग साहस और त्याग, सफेद शांति और सत्य और हरा आस्था और शूरता का प्रतीक होगा जबकि चरखा जनआकांक्षाओं का इजहार करेगा। गौरतलब है कि 22 जुलाई, 1947 को संविधान सभा ने वर्तमान ध्वज को भारत का राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया। इसमें केसरिया रंग, सफेद रंग एवं हरे रंग का प्रयोग हुआ है।