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Pratham Singh in भूगोल
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अश्व अक्षांश से क्या  तात्पपर्य हैं ?

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Deva yadav
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 अश्व अक्षांश (Horse Latitudes)

दोनों गोलार्डों में 30° से 35° अक्षांशों के मध्य इनका विस्तार है। यह पेटी उपोष्ण उच्च वायुदाब की है। यह पेटी पछुवा पवनों एवं व्यापारिक पवनों के मध्य विभाजन का कार्य करती है। विषुवत् रेखा के समीप गर्म हुई वायु व्यापारिक पवनों के विपरीत दिशा में प्रवाहित होती हुई शीतले होकर 30° से 35° अक्षांशों के समीप नीचे उतरती है। अत: इन पवनों के नीचे उतरने के कारण यहाँ उच्च वायुदाब उत्पन्न हो जाता है। इसी कारण यहाँ उपोष्ण कटिबन्धीय प्रति-चक्रवात उत्पन्न हो जाते हैं, जिससे वायुमण्डल में स्थिरता आ जाती है। इस प्रकार वायु-प्रवाह शान्त हो जाता है जिससे मौसम भी शुष्क एवं मेघरहित हो जाता है।
प्राचीन काल में स्पेन के व्यापारी अपने जलयानों पर घोड़े (Anchor) ले जाते थे, क्योंकि इनके संचालन का आधार पछुवा पवनें होती थीं, परन्तु अत्यधिक वायुदाब के कारण जलयान डूबना प्रारम्भ कर देते थे। अतः नाविक जलयानों को हल्का करने के लिए कुछ घोड़े सागर में फेंक देते थे जिससे इन्हें अश्व-अक्षांशों के नाम से पुकारा जाने लगा।

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