मरुस्थलों में मैदानों की स्थिति महत्त्वपूर्ण होती है। पर्वतों में स्थित द्रोणी की ओर से जब जल आता है तो कुछ समय में यह मैदान जल से भर जाता है और उथली झील का निर्माण हो जाता है। इस उथली झील को प्लाया (Playas) कहते हैं। इसमें जल थोड़े समय के लिए ही रहता है, क्योंकि मरुस्थलों में वाष्पीकरण की तीव्रता के कारण जल शीघ्र सूख जाता है। जब प्लाया को जल सूख जाता है तो यह सूखी झील प्लाया मैदान कहलाती है। यदि इस प्लाया मैदान का ढाल पर्वतीय क्षेत्रों में 1-5° होता है तो इसे वाजदा कहते हैं।