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हाइगेन्स के द्वितीयक तरंगिकाओं के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।

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तरंगाग्र

 किसी एक माध्यम में जिसमें कोई तरंग संचरित हो रही हो, यदि हम कोई ऐसा पृष्ठ (surface) खींचें जिसमें स्थित कण कम्पन की समान कला में हों, तो ऐसे पृष्ठ को ‘तरंगाग्र कहते हैं। समांग (isotropic) माध्यम में किसी तरंग का तरंगाग्र सदैव तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् होता है। अत: तरंगाग्र के लम्बवत् खींची गयी रेखा तरंग के चलने की दिशा को व्यक्त करती है। इसको ही किरण (ray) कहते हैं। तरंगाग्र विविध आकृतियों के होते हैं।

हाइगेन्स का द्वितीयक तरंगिकाओं का सिद्धान्त (Huygens Principle of Secondary Wavelets)
1. जब कोई कम्पन-स्रोत तरंगें उत्पन्न करता है, तो उसके चारों ओर माध्यम (ईथर) के कण कम्पन करने लगते हैं। माध्यम को वह पृष्ठ (surface) जिसमें स्थित सभी कण एक ही कला (phase) में कम्पन कर रहे होते हैं, “तरंगाग्र’ (wavefront) कहलाता है। समांग (homogeneous) माध्यम में किसी तरंग का तरंगाग्र, तरंग के संचरण की दिशा में लम्बवत् होता है। अत: तरंगाग्र के अभिलम्बवत् खींची गयी रेखा तरंग के संचरण की दिशा को व्यक्त करती है तथा इसे किरण (ray) कहते हैं।

2. माध्यम में जहाँ भी तरंगाग्र पहुँचता है वहाँ पर स्थित प्रत्येक कण एक नया तरंग स्रोत बन जाता है। जिसमें नयी तरंगें सभी दिशाओं में निकलती हैं। इन तरंगों को द्वितीयक तरंगिकाएँ (secondary wavelets) कहते हैं। द्वितीयक तरंगिकाएँ प्राथमिक तरंग की चाल से ही आगे बढ़ती हैं।

3. किसी क्षण सभी द्वितीयक तरंगिकाओं को स्पर्श करता हुआ खींचा गया पृष्ठ अर्थात् ‘एन्वलोप’ (envelope) उस क्षण तरंगाग्र की नवीन स्थिति को प्रदर्शित करता है। इस प्रकार तरंग आगे बढ़ती चली जाती है।
चित्र 10.5 (a) में S एक बिन्दु स्रोत है जिससे तरंगें निकल रही हैं। माना कि तरंगों की चाल v है। माना कि किसी क्षण तरंगाग्र की स्थिति AB है।
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 10 Wave Optics LAQ 1
AB पर स्थित प्रत्येक बिन्दु से द्वितीयक गोलीय तरंग प्राथमिक तरंग की चाल से चारों ओर फैल रही है। माना कि हमें । समय उपरान्त तरंगाग्र की स्थिति ज्ञात करनी है। इतने समय में प्रत्येक द्वितीयक तरंगिका ut दूरी तय करेगी। अत: हम AB पर स्थित बिन्दुओं; जैसे 1, 2, 3, 4, 5,…… पर vt त्रिज्या के गोले खींचते हैं। इन गोलों को स्पर्श करता हुआ खींचा गया पृष्ठ A1B1 ‘एन्वलोप है। यही तरंगाग्र की नवीन स्थिति है। गोलों का एन्वलोप A2B2 पीछे की दिशा में भी है, परन्तु हाइगेन्स का सिद्धान्त पीछे की दिशा में स्थित ‘एन्वलोप’ को स्वीकार नहीं करता। ठीक इसी प्रकार चित्र 10.5 (b) में समतले तरंगाग्र का बढ़ना समझाया गया है।

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