ट्रायोड में कैथोड से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन, ग्रिड में से होकर संग्राहक प्लेट (ऐनोड) पर पहुँचते हैं। ट्रांजिस्टर में उत्सर्जक से प्राप्त इलेक्ट्रॉन (अथवा कोटर) आधार में से होकर संग्राहक पर पहुँचते हैं। परन्तु इन दोनों युक्तियों में प्रयुक्त भौतिक प्रक्रियाएँ भिन्न-भिन्न हैं। ट्रायोड में धारा का नियन्त्रण ग्रिड तथा कैथोड के बीच के वैद्युत-क्षेत्र से होता है। अत: धारा ग्रिड-वोल्टता (कैथोड के सापेक्ष) पर निर्भर करती है तथा काफी बड़े परिसर में धारा में परिवर्तन ग्रिड-वोल्टता में परिवर्तन के लगभग अनुक्रमानुपाती होता है। अतः ट्रायोड वोल्टता-संचालित युक्ति है।
इसके विपरीत, ट्रांजिस्टर में संग्राहक-धारा आधार-धारा से नियन्त्रित होती है जो उत्सर्जक-धारा से प्राप्त की जाती है। संग्राहक-धारा में परिवर्तन आधार-धारा में परिवर्तन के अनुक्रमानुपाती होता है (न कि आधार-विभव में परिवर्तन के)। अतः ट्रांजिस्टर ‘धारा-संचालित युक्ति है।