ये मैदान नदियों के तल से ऊँचाई पर स्थित होते हैं। जहाँ पर प्राचीन जलोढ़ मृदा पायी जाती है क्योंकि ताजा अपवाह यहाँ तक नहीं पहुंच पाता, ये मृदा लवणीय या क्षारीय हो सकती है। ऐसे क्षेत्रों में अधिक सिंचाई से भूमि पर नमकीन परत आ जाती है
ये मैदान नदियों के तल से ऊँचाई पर स्थित होते हैं। जहाँ पर प्राचीन जलोढ़ मृदा पायी जाती है क्योंकि ताजा अपवाह यहाँ तक नहीं पहुंच पाता, ये मृदा लवणीय या क्षारीय हो सकती है। ऐसे क्षेत्रों में अधिक सिंचाई से भूमि पर नमकीन परत आ जाती है
जब किसी मिट्टी में क्षार की मात्रा बढ़ जाती है तो वह जमीन को बांगड़ करते हैं ।ऐसी जमीन उपजाऊ नहीं होती है। बांगड़ खेतों को उपजाऊ बनाने के लिए उसमें जिप्सम और पाइराइट का इस्तेमाल करते हैं।