सामान्य रूप से संसार को 12 प्रमुख जलवायु प्रदेशों में बांटा जा सकता है:
1. विषुवतरेखीय या भूमध्यरेखीय जलवायु-इस प्रदेश की जलवायु में सालों भर तापमान ऊँचा रहता है और शरद नाम की ऋतु नहीं होती । पूरे वर्ष औसत तापमान 27०C रहता है । अधिकतम वार्षिक तापांतर 5०C होता है । दैनिक तापांतर भी 12०C से कम ही रहता है । वायु की सापेक्षिक आर्द्रता 80 प्रतिशत से अधिक रहती है । वर्षा संवहनीय प्रकार की है एवं सालों भर होती है । वार्षिक वर्षा 200 सेमी. से अधिक होती है ।
2. उष्ण मानसूनी या भारतीय प्रकार की जलवायु
इस प्रदेश की जलवायु में जाड़े व गर्मी की दो स्पष्ट व अलग-अलग ऋतुएँ होती है, साथ ही वर्षा की भी एक अलग ऋतु होती हैं । गर्मियों में तापमान 27०C से अधिक (35०C से 40०C तक) चला जाता है तो जाड़े में 10०C तक नीचे भी उतर आता है । वार्षिक तापांतर लगभग 15०C मिलता है ।
वर्षा की भी एक स्पष्ट ऋतु मिलती है जो गर्मियों के तुरंत बाद होती है । वर्षा मुख्यतः जून से सितम्बर के बीच होती है जो काफी अनिश्चितता की प्रवृति रखती है । जाड़े की ऋतु प्रायः शुष्क होती है । औसत वार्षिक वर्षा सामान्यतः 40 से 200 सेमी. तक होती है ।
3. सूडानी या सवाना प्रदेश की जलवायु
सामान्यतः 10०-30० अक्षांशों तक विस्तृत इस जलवायु प्रदेश में वर्ष भर उच्च तापमान (18०C से अधिक) मिलता है एवं वार्षिक तापांतर 10०C तक पाया जाता है । ग्रीष्म ऋतु में यहाँ विषुवतीय जलवायु से भी अधिक तापमान रहता है ।
सामान्य रूप से इस जलवायु में औसत मासिक तापमान 20०C से 30०C रहता है । दैनिक तापांतर भी अधिक होता है । वार्षिक वर्षा 25 सेमी. से 100 सेमी. तक होती है । वर्षा गर्मियों में होती है । विषुवतीय सीमांतों पर एवं समुद्रतटीय भागों में अधिक वर्षा होती है । वर्षा में अनिश्चितता की प्रवृति मिलती है ।
4. उष्ण मरूस्थलीय या सहारा प्रकार की जलवायु
इस प्रकार की जलवायु का विस्तार साधारण रूप से 15० से 30० अक्षांशों के बीच उष्ण मरूस्थलीय क्षेत्रों में पायी जाती है । जाड़े में औसत तापमान 10०C और गर्मी में 30०C मिलता है । वार्षिक तापान्तर लगभग 20०C तक रहता है । विश्व में सर्वाधिक तापमान उष्ण मरूस्थलों में ही मिलते हैं ।
दैनिक तापांतर अत्यधिक मिलता है क्योंकि यहाँ दिन में तेज गर्मी पड़ती है तथा रात में सर्दी । वर्षा अत्यल्प व अत्यधिक अनिश्चित है । औसत वार्षिक वर्षा 10-12 सेमी. मिलती है ।
5. भूमध्यसागरीय या रूमसागरीय जलवाय
इस प्रकार की जलवायु 30० से 45० अक्षांशों के मध्य भूमध्यसागरीय प्रदेश एवं महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर पाई जाती है । यहाँ गर्मी व जाड़े की दो स्पष्ट ऋतुएँ मिलती है । गर्मियों में अधिक गर्मी नहीं पड़ती एवं औसत तापमान 20०C से 26०C तक पाया जाता है ।
जाड़ों में भी अधिक ठंड नहीं पड़ती एवं औसत तापमान 5०C से 15०C तक मिलते है । वार्षिक तापांतर 10०C से 15०C तक रहता है । दैनिक तापांतर अधिक होता है । वर्षा जाड़ों में होती है और मुख्यतः चक्रवाती प्रकार की है । वार्षिक वर्षा 40 सेमी. से 80 सेमी. तक हुआ करती है ।
6. शीतोष्ण मरूस्थलीय जलवायु
यह 30०-45० अक्षांशों के मध्य महादेशों के आंतरिक भागों में पाया जाता है । गर्मियों में अधिकतम तापमान 17०C-18०C तक चला जाता है । दैनिक तापान्तर 50०C तक है क्योंकि दिन में तापमान 38०C तक बढ़ आता है जबकि रात में यह हिमांक से भी नीचे उतर आता है ।
वार्षिक तापांतर लगभग 40०C है । वार्षिक वर्षा अत्यल्प है एवं यह मुख्यतः गर्मियों में होती है । अधिकतम वार्षिक वर्षा 20 से.मी. से 30 से.मी. तक है ।ये 30० से 45० अक्षांशों के मध्य महादेशों के पूर्वी भागों में पाए जाते हैं । इस जलवायु में ग्रीष्म काल मे खू
7. शीतोष्ण मानसून या चीन तुल्य जलवायु
ब गर्मी पड़ ती है और शीतकाल मे सर्दी भी खूब पड़ती है । औसत तापमान 20०C-22०C तथा वार्षिक तापांतर 12०C-18०C तक मिलता है । वर्षा सालों भर होती है पर मुख्यतः गर्मियों में अच्छी वर्षा होती है । वार्षिक वर्षा 75 से.मी. से 150 तक होती है ।
8. सेंट लारेंसीय प्रदेश की जलवायु
ये जलवायु क्षेत्र 40० से 60० अक्षांशों के बीच मुख्यतः पूर्वी तटों पर मिलते हैं । इस जलवायु में गर्मी में तापमान 21०C तक मिलता है जबकि जाड़े में यह हिमांक से भी नीचे चला जाता है । इस प्रकार वार्षिक तापांतर अधिक (20०C-40०C) मिलता है ।
वर्षा सालों भर होती हैं पर मुख्यतः गर्मियों में अच्छी वर्षा होती है । वर्षा शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के कारण होती है । औसत वार्षिक वर्षा 75 सेमी. से 100 तापमान सेमी. है ।
9. शीतोष्णकटिबंधीय घासभूमि प्रदेश या प्रेयरी प्रकार की जलवायु:
यह जलवायु 40० से 60० अक्षांशों के मध्य मिलती हैं । महाद्वीपों के आंतरिक भाग में स्थित होने के कारण यहाँ तापमान की अत्यधिक विषमता पाई जाती है । गर्मी में 26०C तक तापमान मिलता है जबकि जाड़े में यह हिमांक से भी नीचे आ जाता है ।
अपवादस्वरूप दक्षिणी गोलार्ध की शीतोष्ण कटिबंधीय घासभूमियों में जाड़े का औसत तापमान लगभग 10०C बना रहता है जिसका कारण समुद्री प्रभाव है । वार्षिक तापांतर उत्तरी गोलार्द्ध में अधिक (कहीं कहीं 30०C से भी अधिक) एवं दक्षिणी गोलार्ध में कम (15०C) मिलता है ।
वर्षा मामूली तौर पर सालों भर होती है परंतु गर्मियों के प्रारंभ में थोड़ी अधिक देखी जाती है । औसत वार्षिक वर्षा 40 सेमी. से 70 सेमी. तक पाई जाती है । गर्मियों में वर्षा संवहनीय एवं जाड़े में चक्रवाती प्रकार की होती है ।
10. पश्चिमी यूरोपीय तुल्य जलवायु (Western European Climate):
45०-60० अक्षांशों के मध्य महादेशों के पश्चिमी तटों पर इस प्रकार की जलवायु पायी जाती है । इस प्रकार की जलवायु पर समुद्री प्रभाव बना रहता है । इस कारण न तो इसमें जाड़ों में अधिक सर्दी पड़ती है और न ही गर्मियों में अधिक गर्मी । जाड़े का औसत तापमान 4०C तथा गर्मी का 16०C तक रहता है ।
वार्षिक तापांतर सामान्यतः कम (8०C से 12०C) रहता है जिसका कारण गर्म जलधाराओं और समुद्री पवन का सम्मिलित प्रभाव है । वर्षा पछुआ पवनों के प्रभाव में हर महीने होती है । औसत वार्षिक वर्षा 60 सेमी. से 100 सेमी. है । वर्षा पर्वतीय व चक्रवाती दोनों प्रकार की है ।
11. साइबेरिया तुल्य या टैगा प्रदेशीय जलवायु
यह उत्तरी गोलार्द्ध में 45० से 70० अक्षांशों के बीच मिलता है । जाड़े की ऋतु बहुत लंबी (7-8 महीने) होती है एवं तापमान हिमांक से बहुत नीचे उतर आता है । संसार के सबसे ठंडे स्थानों में से एक वरखोयांस्क (Verkhoyansk) यहीं है जहाँ जाड़े में तापमान -50०C तक चला जाता है ।
ग्रीष्म ऋतु 4-5 महीने की होती है एवं सूर्य 18 घंटे से भी अधिक देरी तक चमकता रहता है किन्तु तिरछी किरणों के कारण तापमान अधिक नहीं रहता । संसार में सबसे अधिक वार्षिक तापांतर (50-55०C) यहीं मिलता है ।
वर्षा 25 सेमी. से 50 सेमी. तक हुआ करती है । वर्षा सालों भर होती है परन्तु गर्मियों में इसकी मात्रा थोड़ी अधिक होती है । वर्षा चक्रवातीय व संवहनीय दोनों प्रकार की है ।
12. शीत मरूस्थल या टुंड्रा प्रदेशीय जलवायु
ये ध्रुवों की ओर मिलते हैं । संसार का न्यूनतम तापमान यहीं मिलता है । जाड़े की ऋतु अत्यधिक लंबी होती है जिसमें रातें बहुत बड़ी व दिन अत्यधिक छोटे होते हैं । सतह प्रायः 10 महीने तक बर्फ से ढकी रहती है । गर्मी के 1-2 महीनों में बर्फ पिघलती है एवं थोड़ी वर्षा भी हो जाती है ।