"ऋग्वेद" में सर्वाधिक सुक्तों में अग्नि और इन्द्र जैसे देवताओं को सम्बोधित किया गया है। ये दो देवताएँ ऋग्वेद में महत्वपूर्ण हैं और उन्हें बहुत बड़ी मात्रा में प्रशंसा का पात्र माना गया है।
ऋग्वेद में अग्नि को "अग्निदेव" या "अग्निपुत्र" के रूप में संबोधित किया गया है, और इसे अग्नि हवन और यज्ञ का प्रतीक माना गया है। अग्नि के महत्व को ऋग्वेद में बहुत अधिक महत्व दिया गया है।
इसके साथ ही, ऋग्वेद में इन्द्र को एक महत्वपूर्ण देवता के रूप में सम्बोधित किया गया है, और उसे पूर्ण क्रांति, शौर्य, और बल के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इन्द्र का महत्व ऋग्वेद में बहुत अधिक है और उसके वीरता के कारण उसे महान देवता के रूप में याद किया गया है।
इस प्रकार, ऋग्वेद में अग्नि और इन्द्र दो देवताओं को सर्वाधिक सुक्तों में सम्बोधित किया गया है।