वर्नाकुलर प्रेस एक्ट लॉर्ड लिटन के कार्यकाल में( 1876-1880) में पारित हुआ था।
- 1878 का वर्नाकुलर प्रेस एक्ट 1882 ईसवी में लॉर्ड रिपन ने रद्द कर दिया।
- वर्नाकुलर प्रेस एक्ट लॉर्ड लिटन के कार्यकाल में( 1876-1880) में पारित हुआ था।
वर्नाक्लूलर प्रेस एक्ट (Vernacular Press Act) को 1878 में पारित किया गया था। यह अक्षरणीय अखबारों के उपयोग और प्रकाशन को नियंत्रित करने का प्रयास था।
इस अधिनियम का प्रमुख उद्देश्य था ब्रिटिश सरकार के संरक्षित आदमिक अखबारों को बचाना और भारतीय प्रेस को विशेषत: उन अखबारों को नियंत्रित करना जिन्होंने ब्रिटिश सरकार के नीतियों और शासन के खिलाफ विचार व्यक्त किए थे।
वर्नाक्लूलर प्रेस एक्ट का पारित होने के बाद, भारतीय प्रेस के कई संपादकों और पत्रकारों को प्रतिबंधित किया गया और उन्हें अपने लेखन को सरकार से पूर्वमंजूर करवाना पड़ता था। यह अधिनियम प्रेस की स्वतंत्रता को बढ़ा देने वाले स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया और बाद में 1882 में इसे समाप्त कर दिया गया।
वर्नाक्लूलर प्रेस एक्ट के पारित होने के समय, ब्रिटिश भारत के वायसराय लॉर्ड लिटन (Lord Lytton) थे।