लालकुर्ती आन्दोलन के नेता खान अब्दुल गफ्फार खाँ थे। इसका उद्देश्य गांधीजी द्वारा चलाए गए सविनय अज्ञा आंदोलन का समर्थन करना था। इसी कारण खान अब्दुल गफ्फार खान को सीमांत गांधी की उपाधि प्रदान की गई थी। वर्ष 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक सभा में शामिल होने के बाद ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान ने ख़ुदाई ख़िदमतगार की स्थापना की और पख़्तूनों के बीच लाल कुर्ती आंदोलन का आह्वान किया। विद्रोह के आरोप में उनकी पहली गिरफ्तारी 3 वर्ष के लिए हुई थी।